राजनांदगांवः कलेक्टर संजय अग्रवाल एवं जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुरुचि सिंह के मार्गदर्शन में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ नेतराम नवरत्न ने बताया की हीट वेव जिसे समान्य भाषा में लू चलना कहा जाता है, जब वातावरण का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो तो हीट वेव की स्थिति उत्पन्न होती है इसका असर बच्चो, बुजर्गो एवं कोमार्बिड लोगो में सर्वाधिक होता है।
हमारे शरीर के टेम्परेचर रेग्यूलेशन (तापमान नियंत्रण) मस्तिष्क के हाईपोथलेमस भाग से होता है। जब वातावरण 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है तब टेम्पेरचर रेग्यूलेशन तंत्र प्रभावित होता है, परिणाम स्वरूप तब हीट स्ट्रोक की स्थिति उत्पन्न होती है।
लक्षणः–
1. सिर में भारीपन और दर्द का अनुभव होना।
2. तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना।
3. चक्कर और उल्टी आना।
4. कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना।
5. अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना।
6. भूख कम लगना।
7. बेहोश होना।
लू से बचाव के उपायः–
1. बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर न जावें।
2. धूप में निकलने से पहले सर व कानो को कपड़े से अच्छी तरह से बांध ले।
3. पानी अधिक मात्रा में पीये।
4. मौसमी फल जैसे तरबूज, ककड़ी,छाछ, लस्सी समय-समय पर लेते रहे।
5. गर्मी के दौरान नरम, मुलायम सूती के कपड़े पहनने चाहिए। जिससे कि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहे।
6. अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस घोल पीये।
7. चक्कर आने पर छाया-दार स्थान पर आराम करे तथा शीतल पेय जल अथवा उपलब्ध हो तो फल का रस लस्सी, मठा आदि का सेवन करे।
8. प्रारंभिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श लिया जावे।
9. उल्टी, सर दर्द बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र में जरूरी सलाह लिया जावे।
