एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
प्रदेश में सत्ता सरकार बदलने के बावजूद जिले में अफसरशाही हावी है। शिकायतों पर कार्रवाई तो दूर जांच तक समय पर नहीं हो पा रही है। संजीवनी हॉस्पिटल मामले का किस्सा कुछ ऐसा ही है। इस अस्पताल में इलाज के दौरान हुई गड़बड़ी की शिकायत हुए 12 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से मामले की जांच के लिए टीम ही नहीं बनाई जा सकी है। सवाल पूछने पर सीएमएचओ डॉ. ऐके बंसोड़ ने दो टूक जवाब दिया कि विभाग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। अफसर के इस जवाब ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, जब डिपार्मेंट का ही हाल बेहाल है तो वह भविष्य में अस्पताल से संबंधित मामलों की शिकायत किससे करेंगे…?
खैर शिकायत हुई है तो जांच तो होनी चाहिए। जांच के बाद ही झूठ सच का पता चल पाएगा। इसके बाद की कार्रवाई चाहे जो भी हो शिकायतकर्ता को यह तो तसल्ली रहती है कि उसकी शिकायत को शासन प्रशासन ने समय पर संज्ञान में लिया।
ज्ञात हो कि स्वास्थ विभाग के निगरानी के अभाव में नियम कायदो को ताक पर रखकर शहर सहित जिलेभर में संचालित निजी अस्पतालों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रबंधन द्वारा बरती जा रही लापरवाही को लेकर आए दिन शिकायतें सामने आ रही है। मामला तब और गंभीर हो जाता है जब इलाज में कोताही बरतने से किसी मरीज की जान पर बन आए। ऐसा ही एक मामला शहर के चिखली इलाके में संचालित संजीवनी अस्पताल का सामने आया है। अमूमन विवादों से घिरे रहने वाले संजीवनी अस्पताल प्रबंधन पर हफ्ते में दो बार डायलिसिस पर जीवित रहने वाले महिला के पति ने गंभीर आरोप लगाए है। बीते 6 फरवरी को कलेक्टर और सीएमएचओ को लिखित शिकायत कर पति ने बताया कि प्रसव के दौरान बरती गई लापरवाही की वजह से उसकी पत्नी के शरीर के मल्टी आर्गन डेमेज हो चुके है।
शिकायतकर्ता रितेश सागोड़े पिता श्याम लाल सागोड़े निवासी अछोली, डोंगरगढ़ ने लिखित शिकायत पत्र में बताया कि उसकी पत्नी विद्या सागोड़े जिसे प्रसव के लिए संजीवनी हॉस्पिटल, राजनांदगाव में भर्ती किया था। 16/10/2023 को ओपरेशन हुआ था। इसके बाद सिर्फ की पत्नी को स्वास्थ्यगत गंभीर दिक्कत हो गई। वर्तमान में हफ्ते में दो बार उसका डायलिसिस करवाना पड़ता है। शिकायतकर्ता ने मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की है।
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