लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज। राजनांदगांव
डामरीकरण के नाम पर पीडब्ल्यूडी इंजीनियर और ठेकेदार ने मिलकर बड़ा कांड कर दिया है। गुणवत्ताहीन डामर चटाकर लगभग दो करोड़ रुपए की सड़क बना दी गई। पहली बारिश में इस कांड की पोल खुलने के बाद भी अधिकारियों ने ठेकेदार के सभी बिल पास कर दिए। अब मामला फूटा तो अफसरों ने चुप्पी साध ली है।
मामला जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर सोमनी नवागांव-फुलझर मार्ग का है। 1.925 किमी इस सड़क को बनाने वर्ष 2022 में प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। 201.55 लाख रुपए में मेसर्स लेखराम साहू (राजनांदगांव) के साथ अनुबंध कर 13 दिसंबर 2022 को कार्यादेश दिया गया। नियत अवधि यानी 6 माह के भीतर ही सड़क का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन गुणवत्ता को परे रखकर। गुणवत्ताहीन निर्माण की वजह से पहली बारिश में सड़क धुल गई। समतल होने की वजह से अब सड़क और जमीन एक सी दिखने लगी है। सड़क को देखने से ऐसा लगता है कि डामर का घोल ऊपर से छिड़क दिया गया है।
पड़ताल में खुल गई पोल
इस मामले की हकीकत जानने के लिए हमने सोमनी नवागांव से फुलझर तक सफर किया। उतनी दूरी तक सड़क में कहीं कोई गुणवत्ता नजर नहीं आई। बेस में मजबूती देने के लिए गिट्टी डाली गई है या नहीं। यह भी स्पष्ट तौर पर पता नहीं चल पा रहा है। हालांकि शोल्डर का काम जबरदस्त तरीके से किया गया, इसके पीछे कारण मुख्य कार्य डामरीकरण पर पर्दा डालने का हो सकता है। बता दें कि डामरीकरण कार्य के दौरान सड़क की ऊंचाई जमीन से बढ़ जाती है। किसी तरह का हादसा न हो इसलिए सड़क के दोनों किनारों में मुरूम की लेयर डाली जाती है, जिसे ही शोल्डर कहा जाता है।
कार्रवाई करना छोड़ कर दिया बिल पास
पहली बारिश में ही डामरीकरण की गुणवत्ता की पोल खुलने के बाद ही पीडब्ल्यूडी के अफसरों को मामले में कार्रवाई कर देनी चाहिए थी। लेकिन अफसरों ने उल्टा ठेकेदार का बिल पास कर दिया। ऐसे कार्यप्रणाली को लेकर सांठगांव की आशंका गहरा गई है। इस मामले को लेकर जब ठेकेदार से चर्चा की गई तो उसने बेतुका कारण बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया। दूसरी ओर अधिकारी भी इस मामले में जानकारी देने से बच रहे है। मामला गंभीर है सही तरह से जांच होती है तो चौकाने वाले खुलासे हो सकते है।
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