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एक्स रिपोर्टर न्यूज। राजनांदगांव

इस बार धान खरीदी सिरदर्द बन गई है। चुनाव, सत्ता पलट और मिलर्स V/S शासन के बीच समितियां बुरी तरह फंस चुकी है। अफसर थोक में डिलीवरी आर्डर जारी करने की बात कह रहे है, लेकिन ग्राउंड जीरो में इसका रिजल्ट शून्य है। समिति प्रभारियों की माने तो जारी किए गए डीओ के मुकाबले परिवहन काफी कमजोर है, ऊपर से बेईमान मौसम ने परेशानी और बढ़ा दी है, अब वे करें तो क्या?

परिवहन कमजोर होने की वजह से केंद्रों में धान का स्टॉक बफर लिमिट क्रास कर चुका है। भारी मात्रा में पहुंचे धान के रखरखाव के लिए समिति प्रभारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। भय यह भी है कि थोड़ी सी भी चूक हुई तो धान खराब हो जाएगा। जिसका हर्जाना भी समितियों को भरना होगा। बीते दिनों हुई बैठक में अफसरों ने यह आश्वासन दिया था कि अब धान परिवहन में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा हो नहीं रहा है। यदि समय रहते इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो मामला गंभीर हो जाएगा। बता दें कि राज्य शासन की ओर से पिछले वर्ष किए गए मिलिंग राशि का भुगतान अभी तक मिलर्स को नहीं किया गया है, सत्ता पलटने के बाद पूरी राशि का भुगतान होगा भी की नहीं यह भी निश्चित नहीं है, ऐसे में मिलर्स धान उठाव के लिए दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

अभी तक सिर्फ 25% खरीदी
चुनाव के कारण अधिकांश किसानों ने उपज अपने पास ही स्टॉक कर रखा है, काफी कम किसान केंद्रों में धान विक्रय के लिए पहुंच रहे है। यही वजह है कि एक नवंबर से धान खरीदी शुरु होने के बावजूद अभी तक लक्ष्य का 25 प्रतिशत ही खरीदी की जा सकी है। केंद्रों में पर्याप्त जगह नहीं होने की वजह से निरंतर खरीदी में भी परेशानी आ रही है। शासकीय अवकाश के दिनों में खरीदी पूरी तरह बंद रहती है, इससे भी बर्डन बढ़ रहा है। समिति प्रभारियों की माने तो अवकाश के दिनों में खरीदी चालू रखने और खरीदी तिथि को आगे बढ़ाने से समस्या का समाधान हो सकता है।

धर्मकांटा की तौलाई में अंतर, अफसर नींद में
दूसरी बड़ी समस्या तौलाई में अंतर की भी आ रही है। केंद्रों से तौलाई कराने के बाद मिलर्स धर्मकांटा में धान की तौलाई करा रहे है। जिसमें शार्टेज की शिकायत मिल रही है। बता दें कि नेशनल हाईवे के किनारे दर्जनों की संख्या में धर्मकांटा का संचालन किया जा रहा है। धर्मकांटा सहीं चल रहा है या नहीं, इसकी जांच करने वाला भी कोई नहीं है। इस मामले के निराकरण के लिए शासन ने नापतौल विभाग बनाया है, लेकिन इस विभाग के अधिकारी कहां पाए जाते है और कब कार्रवाई करते है इस बारे में अफसरों को छोड़कर और कोई नहीं जानता। इन हालातो में समितियों के लिए सिर्फ भगवान ही मालिक है।

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