कर्णकान्त श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
ममता नगर इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री की जगह गौठान बन गए है। जहां मवेशियों को रखकर पालन पोषण करने की बात लीज धारक उद्यमी द्वारा कही गई है। मवेशियों की देखभाल करना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए वे अपने निजी जमीन का उपयोग कर सकते है, इंडस्ट्रियल एरिया की जमीन तो केवल उद्योगो के लिए आरक्षित है। इस कदर मनमानी करने के बावजूद उद्यमी प्रशासनिक कार्रवाई से बचते आ रहे है। मतलब साफ है या तो उद्यमियों की पहुंच अच्छी खासी है या फिर अधिकारी केवल तनख्वाह लेने के लिए ही काम कर रहे है।
दूसरी ओर विभागीय जांच अंतिम चरण में है। अधिकारियों की माने तो बिना पारदर्शिता के की गई इस जांच की रिपोर्ट सप्ताहभर में आ जाएगी। फाइनल रिपोर्ट के बाद मनमानी करने वाले उद्यमियों को नोटिस भेजा जाएगा। अब सवाल ये है कि जांच में क्या निकल रहा है ये तो केवल अधिकारी और उद्यमी ही जानते है। पर्दे के पीछे मामला सेटल हो जाए तो किसी को भनक तक नहीं लगेगी। नोटिस भेजना बहुत दूर की बात है। क्योंकि इससे पहले भी ममता नगर इंडस्ट्रियल एरिया की जांच की जाती रही है, लेकिन परिणाम हमेशा शून्य ही रहा है। यही वजह है कि करोड़ों रुपए कीमती इंडस्ट्रियल एरिया की जमीन पर गिनेचुने उद्यमी परिवार के सदस्य कुंडली मारकर बैठे है, नए उद्यमियों को लीज तो क्या, यहां भटकने भी नहीं दिया जाता।
श्रम कानून के पालन पर भी सवाल
ममता नगर इंडस्ट्रियल एरिया में संचालित फैक्ट्रियों में श्रम कानून का पालन हो रहा है या नहीं इसकी जांच करने के लिए भी विभाग के पास समय नहीं है। किसी भी फैक्ट्री में आग लगने के बाद विभाग मजदूरों का रिकाॅर्ड चेक करता फिरता है। लेकिन इससे पहले किसी फैक्ट्री पर ध्यान नहीं दिया जाता कि किस फैक्ट्री में कितने मजदूर हैं और उनमें से कितने मजदूरों का रिकाॅर्ड है। अधिकारियों की अनदेखी के कारण ही स्थिति ज्यादा दयनीय है और फैक्ट्री मालिक अपनी मनमानी करते हैं।
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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर- एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट एवं सेंट्रल रिपोर्टर समाचार पत्र, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव, विशेष सदस्य- प्रेस क्लब राजनांदगांव।
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