IMG-20241026-WA0010
IMG-20241026-WA0010
previous arrow
next arrow

एक्स रिपोर्टर न्यूज। राजनांदगांव

रेत माफियाओं को प्रशासन और खनिज विभाग ने खुली छूट दे रखी है। यही वजह है कि बंद रेत घाटों से अवैध उत्खनन चल रहा है। रेत माफिया बिना रायल्टी के रेत बेचकर शासन को राजस्व का चूना लगा रहे हैं। यही नहीं इस तरह के अवैध उत्खनन से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। खुले तौर पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

अवैध खनन और परिवहन के खिलाफ कार्रवाई केवल दिखावे के लिए की जा रही है। जिसके कारण बेखौफ होकर रेत माफिया खनन और ट्रांसपोर्टर परिवहन कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि रोजाना इन घाटों से रात में मशीन के माध्यम से बड़ी मात्रा में रेत उत्खनन कर बेचा जा रहा है। जबकि इन घाटों का ठेका समाप्त हो चुका है। दरअसल ज्यादातर रेत घाट का ठेका नेताओं के पास था। ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई करने अधिकारियों के हाथ कांप रहे हैं। राजस्व, पुलिस और खनिज विभाग के अधिकारी खुलेआम हो रहे रेत उत्खनन पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि रेत उत्खनन खनिज विभाग के अधिकारियों के सह पर हो रहा है।

गर्मी बढऩे के साथ शिवनाथ नदी का जल स्तर नीचे आ रहा है। जैसे जैसे नदी का जल स्तर नीचे आ रहा। नदी से रेत अवैध निकासी भी शुरू हो गई है। ऐसे तकरीबन आधा दर्जन जगहों से रेत की निकासी चोरी-छिपी की जा रही है। इसके अलावा अन्य नदियों से भी रेत की निकासी की जा रही है। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि ज्यादातर जगहों पर रेत निकासी राजनीतिक पार्टी से जुड़े लोग करवा रहे हैं। इसमें जिला और जनपद पंचायत सदस्य से लेकर सरपंच तक पीछे नहीं हैं। इधर शिकायत मिलने के बाद भी खनिज विभाग के अफसर खामोश बैठे हैं। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।

City reporter@राजनांदगांव: खनिज विभाग नींद में, रेत माफियाओं की तिरछी नजर शिवनाथ नदी पर, शिकायत के बाद कार्रवाई नहीं मतलब लेनदेन कर की जा चुकी है तगड़ी सेटिंग…

जिले में चल रही खनिज संपदाओं की अवैध खनन पर विभाग लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। ऐसे में शासन को मिलने लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। खनिज विभाग के अफसरों से मिली जानकारी अनुसार जिले में सिर्फ सात जगहों पर मुरुम खदान चलाने के लिए लीज मिला हुआ है। जबकि यहां दर्जनभर से अधिक मुरुम खदानों का संचालन हो रहा है।

धीरी मामले में अब तक ठोस कार्रवाई नहीं

शिवनाथ नदी अंबागढ़ चौकी क्षेत्र के पानाबरस से शुरू होकर सोमनी क्षेत्र के ईरा और धीरी गांव के बाद दुर्ग जिले में प्रवेश करती है। इस बीच कई खदानों का संचालन होता है, लेकिन फिलहाल एक भी रेत खदान की स्वीकृति खनिज विभाग से नहीं हुई है। इसके बाद भी ग्राम धीरी में रेत का अवैध उत्खनन किया गया। रेत निकासी के लिए रातो-राते जेसीबी से रैंप बनाया गया। लेकिन इस मामले में अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

पत्थर खदान मामले में भी कार्रवाई नहीं

जिला मुख्यालय से १२ किमी दूर नागपुर रोड हाइवे किनारे स्थित राजा भानपुरी गांव में चूना पत्थर व गिट्टी खदान में अवैध ढंग से भारी-भरकम बारुद से विस्फोट कराने का मामला सामने आया। इससे खदान से सटे गांव दहल उठा। कई घरों में दरारें पड़ गई हैं। इसकी शिकायत भी हुई, लेकिन अफसर यहां भी चुप्पी साध लिए।

जनप्रतिनिधि ही करवा रहे खनन

सुकुलदैहान क्षेत्र के ग्राम लिटिया में भाजपा समर्थित जनप्रतिनिधि पर ही खेत से मुरुम निकासी कराने का मामला सामने आया है। इसमें बड़ी बात यह कि जिन खेतों से मुरुम की निकासी कराई जा रही है, उन किसानों से अनुमति तक नहीं ली गई है। इस मामले की शिकायत किसानों ने बगैर अनुमति खेतों की खोदाई करने वाले का नामजद शिकायत किए हैं। राजनीतिक रौब दिखाकर मुरुम की अवैध निकासी की जा रही है। इस मामले में खनिज विभाग द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। अब शिकायतकर्ता को जान से मारने की धमकी देने की बात सामने आ रही है।

क्या है एनजीटी की गाइडलाइन

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने काफी पहले ही देश की किसी भी नदी से लाइसेंस या पर्यावरण मंज़ूरी के बिना रेत के खनन पर रोक लगा दी है, परंतु नदियों में अब भी अवैध रेत-खनन जारी है।

नदियों में रेत-खनन से होने वाले नुकसान-

रेत खनन से नदियों का तंत्र प्रभावित होता है तथा इससे नदियों की खाद्य-श्रृंखला नष्ट होती है। रेत के खनन में इस्तेमाल होने वाले सैंड-पंपों के कारण नदी की जैव-विविधता पर भी असर पड़ता है। रेत-खनन से नदियों का प्रवाह-पथ प्रभावित होता है। इससे भू-कटाव बढ़ने से भूस्खलन जैसी आपदाओं की आवृत्ति में वृद्धि हो सकती है। नदियों में रेत-खनन से निकटवर्ती क्षेत्रों का भू-जल स्तर बुरी तरह प्रभावित होता है। साथ ही भू-जल प्रदूषित होता है। प्राकृतिक रूप से पानी को शुद्ध करने में रेत की बड़ी भूमिका होती है। रेत खनन के कारण नदियों की स्वतः जल को साफ कर सकने की क्षमता पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। अवैध रेत खनन से सरकारी खज़ाने को प्रतिवर्ष राजस्व का नुकसान हो रहा है।

——————–

✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर-एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, ब्यूरोचीफ-दैनिक सत्यदूत संदेश, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव, विशेष सदस्य-प्रेस क्लब राजनांदगांव।

मो. 9752886730

You missed

error: Content is protected !!