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भिलाई।  श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई के मैनेजमेंट एवं कामर्स विभाग द्वारा सेबी की शैक्षणिक शाखा निम्स के सहयोग से ट्रेंड ऑफ़ फाइनेंशियल मार्केट स्पेशल रिफरेन्स टू स्टॉक मार्केट विषय पर दो दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप श्री हौसांग चौहान, निम्स एवं उनकी टीम उपस्थित रहीं।कार्यक्रम का अध्यक्षता प्रो. (डॉ.) सदानंद शाही ने किया।

कार्यक्रम के प्रथम दिवस में कुलपति शाही ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि बैंक और शेयर बाजार मिल कर किसी भी देश में वित्तीय प्रणाली को समृद्ध बनाने में अपना अपना योगदान देते हैं। आंकड़ों के अनुसार हाल के दशकों में अधिकतर देशों में घरेलू निवेश में शेयरों का हिस्सा बाड़ी तेजी से बढ़ी है। हमारे देश में भी बढ़ते शेयर बाजार इसी तरह के संकेत दे रहे हैं। हाल के वर्षों में हमारे देश में युवाओं का रुझान SIP और म्यूचुअल फंड की तऱफ बढ़ा है। यह भी अप्रत्यक्ष रूप से शेयरों में निवेश का ही तरीका है।

शेयर बाजार का महत्व किसी भी देश की वित्तीय प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिये बहुत ही आवश्यक हो गया है जिसके बिना आर्थिक गतिविधियों को स्पीड नहीं मिल पाती है। कार्यक्रम के पहले दिन श्री हौसांग चौहान ने कहा कि निवेश करने से पहले हमें बाजार के विषय में जान ले कि वे कितने श्रेणी के होते हैं इस क्रम में उन्होंने बताया कि प्राथमिक बाजार में, पहली बार निवेशकों को खरीदने के लिए प्रतिभूतियां बनाई जाती हैं। इस बाजार में स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से नई प्रतिभूतियां जारी की जाती हैं, जिससे सरकार के साथ-साथ कंपनियों को भी पूंजी जुटाने में मदद मिलती है।जब कोई कंपनी अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए नए शेयर या डिबेंचर जारी करके सीधे निवेशकों से धन की उगाही करती है तो ऐसा वह कंपनी प्राथमिक बाजार के तहत करती है।

कंपनी नए इनीशियल पब्लिक ऑफर प्राथमिक बाजार में लाकर नए शेयर/डिबेंचर जारी करती है। दूसरे शब्दों में कहें तो प्राइमरी मार्केट वह जगह है, जहाँ सिक्युएरिटीज (प्रतिभूतियों) को अस्तित्व में लाया जाता है (जैसे आई.पी. ओ. के द्वारा)। प्राथमिक बाजार के विपरीत द्वितीयक बाजार (सेकंडरी मार्केट) में विभिन्नत कंपनियों द्वारा पहले से जारी किए गए शेयर/डिबेंचर या अन्य सिक्यूरिटीज का लेन-देन होता है। इस तरह साधारण शब्दों में हम ऐसे भी कह सकते है की प्राथमिक बाजार में कंपनियां पहली बार लोगों को नए स्टॉक और बॉन्ड बेचती हैं। कार्यक्रम के दुसरे दिन श्री हौसांग चौहान ने कार्यक्रम के दुसरे दिन द्वितीयक बाज़ार के विषय में बताते हुए कहा कि द्वितीयक पूंजी बाजारों में, दूसरों के बीच वित्तीय और निवेश उपकरण जैसे स्टॉक, शेयर, और बांड ग्राहकों द्वारा खरीदे और बेचे जाते हैं। एक द्वितीयक पूंजी बाजार की विशेषता मुख्य रूप से मौजूदा या पहले जारी किए गए प्रतिभूतियों का आदान-प्रदान और कारोबार है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई), न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई), और नैस्डैक जैसे स्टॉक एक्सचेंज द्वितीयक पूंजी बाजारों के उदाहरण हैं। द्वितीयक बाजार में वे निवेश स्थल शामिल हैं जिनकी तलाश एक नियामक निकाय जैसे प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) द्वारा की जाती है। जिसमें निवेशकों के बीच मौजूदा या पहले से जारी प्रतिभूतियों का कारोबार किया जाता है। इसका मतलब यह है कि जारी करने वाली कंपनियां द्वितीयक बाजार का हिस्सा नहीं हैं। इसे सारांशित करने के लिए, पूंजी बाजारों का लक्ष्य लेनदेन क्षमता में सुधार करना है। उदाहरण के लिए, एक पूंजी बाजार उन लोगों को एक साथ लाता है जो पूंजी रखते हैं और जो पैसे चाहते हैं और एक मंच प्रदान करते हैं जहां ये दोनों पक्ष प्रतिभूतियों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। अब जब आप पूंजी बाजार की मूल बातें, पूंजी बाजारों के प्रकार, और पूंजी बाजार के फायदों के बारे में जानते हैं, तो निवेश शुरू करने का समय आ गया है।

उक्त कार्यक्रम का संयोजन डॉ. नेहा सोनी, विभागाध्यक्ष, मैनेजमेंट विभाग एवं डॉ. संजू सिंह, विभागाध्यक्ष, कामर्स विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री हिना गोदवानी, सहायक प्राध्यापक, कामर्स विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया साथ ही यूनिवर्सिटी परिवार के कर्मचारियों अधिकारियों की गरिमामई उपस्थिति रहीं।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

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