एक्स रिपोर्टर न्यूज । राजनांदगांव
गांव-शहर ही नहीं पूरे देश में गिरता भूजल स्तर चिंता का विषय बना हुआ है। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस समस्या से निजात पाने के उपाय तलाश रहीं है। पानी की बर्बादी को देखते हुए कम सिंचाई लेने वाले फसलों (जैसे दलहन और तिलहन) को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पर किसान अधिक समर्थन मूल्य के लालच में धान को त्यागने को तैयार नहीं हो रहे है। सर्वाधिक सिंचाई लेने वाले फसलों में धान के अलावा गन्ना भी शामिल है। साल 2019 में नीति आयोग ने गन्ना और धान की फसल पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि इनकी खेती के जरिए पानी की बर्बादी हो रही है। जाहिर सी बात है सरफेस लेवल पर सिंचाई की बेहतर सुविधा नहीं मिल पाने के कारण धान और गन्ना की सिंचाई के लिए ट्यूबवेल का सहारा लिया जाता है, जिससे भूजल स्तर तेजी से नीचे आ रहा है।
आज इस मुद्दे पर चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि कांग्रेस सरकार धान के बदले किसानों से पानी चूसने वाले गन्ना लगवाने की तैयारी में है। अब तक गन्ने की खेती से कोसो दूर राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी और खैरागढ़ जिले में कांग्रेसी नेता इस अभियान की अगुवाई करेंगे। इसी संबंध में मीडिया को जानकारी देने के लिए सोमवार को प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें कांग्रेसी नेता व जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अध्यक्ष नवाज खान ने बताया कि कबीरधाम जिले की तरह राजनांदगांव व नव गठित जिले में किसानों को गन्ना खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। बता दें कि गन्ना फसल लेकर कबीरधाम धान जिला भी उतना खुशहाल नहीं हुआ है जितना बताया या दर्शाया जा रहा है। गन्ना फसल लेने की वजह से कबीरधाम जिला गिरते भूजल स्तर के संकट से जूझ रहा है। कई मिडिया के प्रकाशनों में यह हकीकत सामने आ चुकी है। कृषि वैज्ञानिको की माने तो ये दोनों फसलें सबसे ज्यादा पानी की खपत करने वाली है। एक किलो चावल उगाने में लगभग 3000 लीटर और एक किलो चीनी बनाने करीब 5000 लीटर पानी की खपत होती है।
कबीरधाम में अधिकांश गुड़ फैक्ट्री अवैध
चूंकि राजनांदगांव जिले में शक्कर कारखाना है नहीं, इसलिए गन्ना किसानों को बाजार उपलब्ध कराना भी बड़ी चुनौती है। कबीरधाम और बालोद की फैक्ट्री में फसल पहुंचाने में ही काफी खर्च आ जाएगा। किसान आर्थिक दिक्कत में घिर जाएंगे। इस सवाल पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अध्यक्ष ने कहा कि कबीरधाम जिले की तरह ही यहां भी छोटे गुड़ फैक्ट्री को प्रोत्साहित किया जाएगा। यहां पर बता दें कि कबीरधाम जिले में संचालित लगभग 400 गुड़ फैक्ट्री में से अधिकांश फैक्ट्री अवैध रूप से संचालित है, इन फैक्ट्रियों का पंजीयन न उद्योग विभाग में कराया गया, न ही पर्यावरण बोर्ड से एनओसी लिया गया है, मंडी से लाइसेंस मिलना तो दूर की बात है।
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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर-एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, ब्यूरोचीफ-दैनिक सत्यदूत संदेश, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव, विशेष सदस्य-प्रेस क्लब राजनांदगांव।
मो. 9752886730
