Religious reporter कवर्धा: रक्षाबंधन के दूसरे दिन हर्षोल्लास से मनाया गया भोजली पर्व, लोगों ने मितान मानकर पूरी की अर्चना…
कुई से महादेव सोनी की खास रिपोर्ट-
कवर्धा। रक्षाबंधन के दूसरे दिन अंचल में हर्षोल्लास के साथ भोजली पर्व मनाया गया। भोजली रक्षाबंधन के बाद भाद्र मास की प्रतिप्रदा को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन लगभग एक सफ्ताह पूर्व से बोए गए गेंहू ,चावल आदि के पौधे रूपी भोजली को विर्सजित किया जाता है। यह मूलतः मित्रता का पर्व है। छत्तीसगढ़ी में भोजली मितान बोलते है। जीवन भर मितान बनकर रहना पड़ता है, एक दूसरे के सुख दुख हर कामो में शामिल रहना पड़ता है, पवित्र बंधन रहता है, भोजली को एक दूसरे के कानों में खोचकर मितान बदा जाता है। जिसको भोजली मितान कहते है। इस अवसर पर भोजली का आदान प्रदान होता है, जहां भोजली के गीत गाए जाते है “ओ देवी गंगा ,लहर तुरंगा “भोजली का प्रसिद्ध गीत है।

B.J.M.C.
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