भिलाई। श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई द्वारा एक सप्ताह तक चलने वाले ‘विद्यारंभम’ कार्यक्रम के चौथे दिन 24 सितंबर 2022 को आयोजित कार्यक्रम के पहले सत्र में विद्यार्थियों को परीक्षा विभाग एवं यूनिवर्सिटी के कार्य प्रबंधन एवं उपलब्धियों से सम्बंधित जानकारियां प्रदान गई। परीक्षा नियंत्रक प्रो. (डॉ.) संदीप श्रीवास्तव विद्यार्थियों को पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से परीक्षा की बारीकियां बताई । उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को परीक्षा के बारीकियों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि परीक्षा में सम्मलित होना और उसे बेहतर प्रबंधन से पूरा करना वहीँ उप-कुलसचिव श्री विनय पीताम्बरन ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन के कार्य प्रबंधन एवं उपलब्धियों को पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि यूनिवर्सिटी विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण के साथ-साथ विद्यार्थियों को बेहतर प्रबंधक एवं बेहतर मनुष्य बनाने हेतु कार्य कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी देश के प्रतिष्ठित शोध संस्थानों एवं शैक्षणिक संस्थानों से एमओयू कर उनके साथ कार्य करने जा रही हैं एवं भविष्य में अनके संस्थानों के साथ साझा कार्य करने के लिए प्रयासरत हैं । कार्यक्रम के दुसरे सत्र में प्रसिद्द ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुप्रीत चोपड़ा एवं जाने-माने योग व ध्यान के विशेषज्ञ डॉ. श्रीनिवास देशमुख ने अपने-अपने उद्बोधन प्रस्तुत किए. हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुप्रीत चोपड़ा का कहना है कि दिल तो बच्चा है जी, ये गाना हम सबने खूब सुना होगा, लेकिन ये वाक्य सिर्फ एक गाने का हिस्सा नहीं है, बल्कि दिल वास्तव में एक बच्चे जैसा ही है। डॉ. सुप्रीत कहा कि जिस तरह मां बाप अपने मासूम बच्चे की देखरेख करते हैं, वैसे ही हमें दिल की देखभाल करनी चाहिए। दिल शरीर का एक ऐसा अंग है, जो 24 घंटे बिना रुके काम करता है। पूरे शरीर में एक सन्तुलन बनाकर रखता है। डॉ चोपड़ा ने कहा कि स्वस्थ दिल रखने के लिए व्यक्ति को नियमित रूप से व्यायाम करना चहिए।
व्यायाम के लिए कम से कम तीस मिनट भी पर्याप्त हैं, लेकिन ये नियमित होना चाहिए। प्रतिदिन सुबह या शाम में से एक समय जरूर टहलना चहिए। जॉगिंग या साइक्लिंग भी अच्छा विकल्प है। डॉ चोपड़ा ने बताया कि हृदय संबंधी रोग, शुगर और उच्च रक्तचाप आदि से बचने के लिए 35 वर्ष की उम्र के बाद समय समय पर स्वास्थ्य परीक्षण कराते रहना चाहिए। व्यक्ति की उम्र 35 साल पार हो चुकी हो। हरी सब्जियां, साबुत अनाज और फल पर्याप्त मात्रा में खाने चाहिए। साथ भी फाइबरयुक्त चीजों को वरीयता दें। अधिक चिकनाईयुक्त भोजन, अल्कोहल और धूम्रपान से परहेज करें। मीठे पेय और सोडियम युक्त चीजें कम से कम खाएं, खाने में नमक कम मात्रा में लें, फ्रेंच फ्राइज, बर्गर जैसे फास्टफूड और जंकफूड से लेने से बचें, जल्दी सोने व जल्दी उठने की आदत डालें व आठ घंटे की पूरी नींद लें, लगातार कई घंटे की सिटिंग हृदय रोग का बड़ा कारण बन सकती है। इसलिए बीच बीच में उठकर थोड़ी देर में चल फिर लेना चाहिए। डॉ. श्रीनिवास देशमुख ने कहा कि पृथ्वी पर सबसे प्राचीन ध्यान परंपराओं में से एक है और इसमें विभिन्न प्रकार की तकनीके भी हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि योग केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि इसमें ध्यान और आध्यात्मिक गुण भी शामिल है। इस प्रकार, योग ध्यान न केवल शरीर के लिए फायदेमंद साबित होता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी बढ़ाता है। योग और ध्यान एक-दूसरे के पूरक हैं उन्होंने कहा कि ध्यान एक विश्राम है। यह किसी वस्तु पर अपने विचारों का केन्द्रीकरण या एकाग्रता नहीं है, अपितु यह अपने आप में विश्राम पाने की प्रक्रिया है। ध्यान करने से हम अपने किसी भी कार्य को एकाग्रता पूर्ण सकते हैं।

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