City reporter राजनांदगांव: चिटफंड पर प्रशासन का फंडा पहले दिन ही पड़ा ठंडा, आवेदकों को चुभी आधी-अधूरी तैयारी, काउंटर के नाम पर दफ्तर के बाहर लगा दी टेबल…
राजनांदगांव। चिटफंड कंपनियों में अपनी गाढ़ी कमाई गवां चुके लोगों को सरकार राशि वापस दिलाने के नाम पर आधी-अधूरी तैयारी के बीच निर्धारित प्रोफार्मा में आवेदन पत्र जमा करवा रही है। निवेशक ६ अगस्त तक आवेदन जमा कर सकेंगे। रविवार को शासन द्वारा जारी आदेश को सोमवार को समझने में ही निकल गया। आवेदन कैसे लेना है, आवेदन में जरूरी दस्तावेज क्या-क्या होगा। यह भी नहीं बताया जा रहा। यदि एक व्यक्ति के नाम एक से अधिक खाता है, तो उसे कितने आवेदन करने होंगे। यह भी स्पष्ट नहीं। ऐसे में निवेशक और एजेंट असम्जस की स्थिति में अपना आवेदन जमा कर रहे हैं। सीधे कहे तो चिटफंड पर प्रशासन का फंडा पहले दिन ही ठंडा पड़ गया।
चिटफंड में डूबी राशि को वापस दिलाने की बात कांगे्रस ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने मैनिफेस्टो में शामिल था। ऐसे में अब जब निवेशकों से आवेदन ले रहे हैं, तो लोगों में कंपनियों में डूबे रुपए वापस होने की आस जगी है। फार्म बांटने और जमा लेने के लिए शासन द्वारा राजस्व अनुविभागीय अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सोमवार को जिलेभर के ब्लाक मुख्यालयों के एसडीएम कार्यालयों में निवेशकों की भीड़ उमड़ पड़ी। राजनांदगांव तहसील कार्यालय में भी सुबह १० बजे से निवेशक पहुंच गए। जैसे ही एसडीएम कार्यालय पहुंचे, लोग जुट गए। एसडीएम ने इस कार्य को तहसीलदार को फावर्ड करने की बात कही। निवेशक जब तहसीलदार के पास पहुंचे, तो उन्होंने अपने नीचे कर्मचारियों पर जिम्मेदारी डाल दी। निवेशक दो घंटे इधर से उधर भटकते रहे। इसके बाद तहसील कार्यालय के रूम नंबर 5 से आवेदन का प्रोफार्मा बांटना शुरू किया गया, लेकिन आवेदन देने वाले निवेशकों के सवालों का स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहे थे।
निवेशक व एजेंटों को इन सवालों का नहीं मिला जवाब
कुछ सवाल ऐसे हैं, जो सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा जमा कराए जा रहे प्रोफार्मा में निवेशकों से आधार या बैंक डिटेल नहीं लिए जा रहे। एजेंट का पूरा ब्योरा लिया जा रहा, क्यों? सरकार किस तरह लोगों का पैसा वापस कराएगी, यह स्पष्ट नहीं है। इसके लिए लिए सरकार ने क्या ब्लू प्रिंट तैयार किया है। यह भी स्पष्ट नहीं है।
पहले भी ले चुके हैं आवेदन
शासन-प्रशासन द्वारा पहले भी भाजपा के शासन काल में चिटफंड में डूबे रकम को वापस दिलाने के नाम पर आवेदन लिया जा चुका है, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। आवेदन से पूरा कमरा भर गया, लेकिन न्याय नहीं मिला। जबकि पूरे जिलेभर से लाखों लोगों ने करोड़ों रुपए इन कंपनियों में इनवेस्ट कर दिए हैं। जल्दी रुपए को डबल करने के लालच में फंसे लोग अब तक अपनी रकम के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
इतने कम समय में आवेदन जमा कर पाना संभव नहीं
जिले में लाखों निवेशक हैं, जिन्होंने चिटफंड कंपनियों में पैसा निवेश किया है। रविवार को आदेश जारी कर 6 अगस्त तक आवेदन जमा करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन इतन कम समय में सभी निवेशक या एजेंट आवेदन जमा नहीं कर पाएंगे। इसके लिए शासन-प्रशासन द्वारा प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जा रहा है। फार्म जमा लेने और निवेशकों को रिशिप्ट देने के लिए अलग से काउंटर की व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में निवेशकों को सरकार की मंशा पर भरोसा नहीं हो रहा।
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B.J.M.C.
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