रूस और युक्रेन का युद्ध : आधुनिक संदर्भ विषय पर ग्रुप डिस्कशन का आयोजन
- पत्रकारिता विभाग में हुआ आयोजन
राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. के.एल.टांडेकर के मार्गदर्शन में पत्रकारिता विभाग, विभागाध्यक्ष डॉ. बी. नंदा जागृत के निर्देशन में रूस और युक्रेन का युद्ध : आधुनिक संदर्भ विषय पर ग्रुप डिस्कशन आयोजित किया गया। पत्रकारिता के विद्यार्थियों के बीच तात्कालिक विषयों पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए एवं विषय पर समझ विकसित करने के लिए समय-समय पर समूह चर्चा आयोजित की जाती हैं। इस समय रूस और यूक्रेन के युद्ध पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई है।
इस विषय पर विभिन्न विद्यार्थियों ने अपने मत व्यक्त किये चेतन मंडावी ने कहा कि युद्ध से हमेशा हानी ही हुईं हैं इसका परिणाम हमेशा घातक होता है।
वही ओमेश्वरी ने कहा कि आखिर एक देश दूसरे देश से युद्ध ही क्यों करता हैं जबकि यह पता है कि इससे किसी भी पक्ष को कोई लाभ नहीं होने वाला है।
परमेश्वर ने कहा कि मैं समझता हूं कि आधुनिक समय में इस तरह के युद्ध से सारी दुनिया संकट से घिर जाएगी। लोकेश का कहना था कि हमारे देश में भी इसका प्रभाव हो रहा है तेल और ईंधन महंगे हो रहे हैं शेयर बाजार संकट में हैं।
अखिलेश खोब्रागढे़ ने कहा कि हमारे देश से कई लोग जीवन यापन के लिए तो, कई विद्यार्थी अध्ययन के लिए यूक्रेन जाते हैं उनमें मेडिकल अध्ययन के छात्रों की संख्या भी है ये विद्यार्थी वहां फंसे हुए हैं राजनांदगांव की छात्रा वहां से बमुश्किल वापस लौट पायी है। हमने उससे मिलकर चर्चा कि उसने बताया कि वहां सब डरे हुए हैं।
कार्यक्रम में व्याख्याता अमितेश सोनकर ने कहा कि किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए। व्याख्याता रेशमी साहू ने कहा कि जिस दिन युद्ध प्रारंभ हुआ है सब लोग सांस रोके अपनों की वापसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। व्याख्याता लोकेश शर्मा सोचते हैं कि युद्ध से कभी किसी का भला नहीं होता एक देश अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए दूसरे देश को संकट में डाल देता है।
विभागाध्यक्ष डॉ. बी. नंदा जागृत ने चर्चा में कहा कि यूक्रेन और रूस के युद्ध का खामियाजा वहां रह रहे हैं। विदेशियों को भी भुगतना पड़ रहा है, साथ ही यूक्रेन वासियों पर भयंकर संकट आ गया है। ऐसी संकट की घड़ी में संयुक्त राष्ट्र संघ को अपनी भूमिका मजबूती से निभानी चाहिए। भारतीय छात्र /छात्रायें जो वहां फंसे हुए हैं उनके लिए शीघ्रातिशीघ्र ठोस कदम उठाकर उनकी वापसी करानी चाहिए।क्योंकि अब तक दो छात्रों की मृत्यु हो गयी है और एक छात्र को गोली लग चुकी हैं कुछ छात्र बड़ी कठिनाई से स्वदेश पहुंच पाये हैं। इन तमाम विचारों से एक मत स्पष्ट रूप से उभरकर आया कि यह युद्ध किसी भी महत्वाकांक्षा पूरी करे ना करें पर दुनिया को बर्बादी अवश्य करेगा। क्योंकि परमाणु युद्ध प्रारंभ हुआ तो विश्व के लिए घोर संकट उत्पन्न हो जाएगा। द्वितीय विश्व युद्ध में हीरोशिमा और नागासाकी का दर्द किसी से छुपा नहीं है।

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