अपराधिक न्याय प्रणाली मे फाँरेन्सिक विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका: फाँरेन्सिक वैज्ञानिक भावरा
राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के द्वारा विज्ञान दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। विश्व विख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन को सन 1921 मैं प्रकाश विद्युत प्रभाव संबंधी नियम हेतु नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। इस घटना को 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस वर्ष विज्ञान दिवस की थीम है इमैजिनेशन इज एवरीथिंग। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ के. एल. टांडेकर के निर्देशन में विभिन्न कार्यक्रमों की कड़ी में विज्ञान क्लब के द्वारा अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला, रायपुर से वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ एच. एस. भांवरा रहें। उन्होंने फोरेंसिक विज्ञान के विभिन्न पहलुओं से विद्यार्थियों को अवगत कराया। घटना स्थल, प्रयोगशाला तथा न्यायालय में वैज्ञानिक अधिकारी की भूमिका के बारे में बताया। घटनास्थल से प्राप्त विभिन्न साक्ष्यों का प्रयोग करके अपराधी का पता कैसे लगाया जाता है, इस बारे में विद्यार्थियों को अवगत कराया गया। नारकोटिक्स तथा टॉक्सिकोलॉजी के विषय में चर्चा की गई। अफीम, हीरोइन, कोकीन, एटीएस, इत्यादि ड्रग्स की जानकारी दी गई। ऑर्गेनोफॉस्फोरस, ऑर्गेनोक्लोरस, करबामेट, पायरीथॉइ पेस्टिसाइड्स की विसरल अंगों में जांच संबंधी जानकारी दी गई। बच्चों को पोलीग्राफी तथा नारको एनालिसिस से अवगत कराया गया। इस अवसर पर विभिन्न विभाग के स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों ने इस व्याख्यान का लाभ उठाया। डॉ भांवरा ने विद्यार्थियों को यह भी बताया कि जीवन में एक ही मौका प्राप्त होता है, जिसे विद्यार्थियों को नहीं गवाना चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत प्राचार्य महोदय डॉ के एल टांडेकर के उद्बोधन से हुई। इस कार्यक्रम में विज्ञान क्लब के संयोजक डॉ संजय ठिसके, डॉ माजिद अली, प्रोफेसर युनुस रजा बेग, प्रोफेसर गोकुल निषाद, प्रोफेसर रीमा साहू, डॉ डाकेश्वर कुमार वर्मा, प्रोफेसर विकास कांडे, डॉ अश्वनी कुमार शर्मा तथा साथ ही साथ विभाग के अतिथि व्याख्याता विभा विश्वकर्मा, भारती यारदा, लिकेश्वर सिन्हा उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रियंका सिंह ने की। डॉ त्रिलोक देव ने विज्ञान क्लब की ओर से धन्यवाद ज्ञापन किया।

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