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छुरिया से सूरज लहरे की रिपोर्ट
छुरिया – जिले में नियम कानून की धज्जियां प्रशासनिक अधिकारी ही उड़ा रहे हैं। छुरिया जनपद पंचायत के ग्राम रानीतालाब में ग्राम पंचायत के ग्रामीणों द्वारा सरपंच पर आर्थिक अनियमितता की 2020 में शिकायत हुआ जिसमें चार सदस्यीय जांच टीम के द्वारा करीब आठ माह के बाद जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था उसके बाद एसडीएम डोंगरगांव में करीब दो माह जवाब प्रस्तुत करने सरपंच को मौका दिया था जिसके बाद जांच में सरपंच को दोषी पाए जाने के बाद पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया गया था‌ और धारा 92 के तहत 19 लाख 38 हजार की वसुली होना था। लेकिन इसके बाद क्या हुआ कि बर्खास्त सरपंच कौशिल्या बाई बांधे को 25 जनवरी को चोरी छुपे पंचायत इंस्पेक्टर परमानंद रामटेके प्रभारी सचिव कुंज लाल यादव ने बिना पंचायत प्रतिनिधियों को अवगत कराएं फिर पदभार दे दिया गया। यहां तक 6 माह के लिए नियुक्त हुई प्रभारी सरपंच सुमित्रा पडोती की गैरमौजूदगी में प्रभार दिया गया है। जो प्रशासन द्वारा कराए जांच व कार्रवाई पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है आखिर पुनः पदभार देने की जानकारी पंचायत बाडी को क्यों नहीं दी गई इससे ग्रामीणों व पंचायत के अन्य पदाधिकारियों में भी रोष का माहौल है ऐसे गंभीर गबन व लापरवाही बरतने वाले सरपंच को पुनः पदभार देना समझ से परे हैं। उनके द्वारा जवाब प्रस्तुत करने समय मांगा गया समय दिए भी लेकिन पदभार क्यों दिया गया। जब प्रभार दिए पंचायत के पदाधिकारियों को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई। बर्खास्त सरपंच द्वारा किए गड़बड़ी की पुनः जांच होनी थी तो 6 महीने के लिए बनी प्रभारी सरपंच के पद में रहते जांच किया जाना था वहीं डोंगरगांव एसडीएम हितेश पिस्दा ने बताया कि बर्खास्त सरपंच द्वारा मामले में पुनः अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए समय की मांग करते हुए जिला प्रशासन को आवेदन दिया गया था इसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर ही उन्हें समय देते हुए पुनः पदभार दिया गया है यदि वह दोषी पाए जाते हैं तो फिर से पद से हटाया जाएगा। ऐसे में लेट लतीफी और लीपापोती होने से नकारा नहीं जा सकता। बरहाल देखना है कि दुबारा जांच में क्या तथ्य सामने आता है।

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