राजनांदगांव। श्रीमति रानी सुर्यमुखी देवी राजगामी सम्पदा की भूमि को नियम विपरीत हस्तांतरित करने और अवैध रिति से अग्रिम अधिपत्य देने का मामला उगाजर होते ही अधिकारीयों के हाथ पांव फुलने लगे है।
तत्कालीन कलेक्टर ने राजगामी सम्पदा की भूमि खसरा न0 183 एंव 184 को रायपुर धर्मप्रदेशिय समाज, रायपुर को अधिपत्य दिनांक 09/12/1975 को दिया जाकर दिनांक 12/12/1975 को 30 वर्षो के लिए लीज पर दिये जाने बाबत् प्रस्ताव शासन को भेजा गया था जिसका आज तक शासन से आंबटन/हस्तांतरण आदेश प्राप्त नही हुआ है यानि यह भूमि वर्तमान में राजगामी संपदा न्यास की स्वामित्व की संपत्ति है लेकिन इस संस्था ने इस राजगामी सम्पदा की भूमि का अपने स्वयं के अधिकार से रायपुर डायोसिस, एज्युकेशन सोसायटी, रायपुर को हस्तांतरित कर दिया और इस संस्था ने इस भूमि को गैरकानूनी ढंग से शिक्षा प्रचार एंव प्रसार समिति, रायपूर, को दिनांक 23 जुलाई 2003 को प्रस्ताव पारित कर दिनांक 16/03/2007 को हस्तांतरित कर दिया और अब शिक्षा प्रचार एंव प्रसार समिति, रायपुर इस संपत्ति को अपनी संपत्ति बता कर जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव कार्यालय से स्कूल संचालित करने अनुमति मान्यता और दिनांक 26/07/2007 को तत्कालीन तहसीलदार से अनापत्ति प्रमाण प्राप्त कर सीबीएसई दिल्ली से एफिलियेशन प्राप्त किया गया है, जो आपराधिक कृत्य है, क्योंकि राज्य शासन के आदेशानुसार संपदा की जमीन की व्यवस्था हेतु न्यास का गठन दिनांक 25/01/1989 को किया गया था और ट्रस्ट के अनुमोदित बायलास में राजगामी संपदा की भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया का उल्लेख नही है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि वाडनेयर स्कूल के प्राचार्य और संचालकगणों ने राजगामी सम्पदा की भूमि को गैरकानूनी ढंग से हस्तांतरित कर अनुचित लाभ लिया गया है और अब वाडनेयर स्कूल के प्राचार्य और संचालगणों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होना चाहिए लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस स्कूल के दोषियों को बचाने में लगे हुए क्योंकि यदि इस स्कूल के प्राचार्य और संचालकगणों पर कार्यवाही हुई तो कई अन्य अधिकारी भी नप जाएंगे।
कानून के जानकार बता रहे है कि राजगामी सम्पदा की भूमि को स्वयं के अधिकार से हस्तांतरित करना गंभीर आपराधिक कृत्य है और यदि ऐसा हुआ है तो कानून कार्यवाही हो सकती है।
