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भिलाई। श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित साप्ताहिक ‘विद्यारंभ’ कार्यक्रम के तहत तीसरे दिन के पहले सत्र में डॉ. आर के सुखदेवे ने ‘वैज्ञानिक सोच’ को लेकर एक विशेष व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने नवागंतुक छात्रों को साइंस से जुड़ी बेसिक जानकारियों के ज़रिए रूबरू कराया। पृथ्वी ग्रह की उत्पत्ति से जुड़े तमाम मिथकों का विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि मनुष्य की जागरूकता ऐसी होनी चाहिए ताकि उसको उसके प्रश्नों का उत्तर मिल सके। अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने कहा कि जहां से साइंस खत्म होता है, वहां से आध्यात्म शुरू होता है. आज विज्ञान हर कदम पर सवालों के जवाब ढूंढने में लगा है, तो वहीं से साइंस की प्रगति होती है। फिजिक्स से जुड़े कॉपरनिकस, गलिल्यो, न्यूटन और आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से जुड़े जिन तथ्यों की खोज करके दुनिया के सामने बारी-बारी से रखा. उन्होंने सही में पृथ्वी के विकास के बारे में अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण के जरिए दुनिया को यह बताने की कोशिश कि साइंस किस तरीके से काम करता है।

विज्ञान के बदलते स्वरूप के बारे में उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों का कोई धर्म नहीं होता बल्कि वह वैज्ञानिक सोच के बल पर शोध को नए-नए तरीके से आयाम देते रहते हैं, यानी वह अपनी थ्योरी के आधार पर तथ्यों की खोज करते हैं। आज हम देखते है कि चिकित्सक पद्धति के क्षेत्र में भी विज्ञान ने बहुत तेजी से उन्नति की है. उन्होंने छात्रों को अध्ययन की ओर इशारा करते हुए कहा कि जिस तरह से छात्र उपन्यास या कहानी की किताबों का नाम हमेशा याद रखते हैं, अब ज़रूरत है छात्रों को उसी तरीके से विज्ञान से जुड़ी किताबों के नाम भी याद रखने चाहिए. वरना अमूमन ऐसा देखा जाता है कि छात्र हमेशा नोट्स के जरिए ही पढाई करते हैं, लेकिन किसी विषय का ज्ञान नोट्स के माध्यम से नहीं मिलता, बल्कि उसके लिए बहुत गहराई में जाकर छात्रों को पढ़ना पड़ता है. दूसरे सत्र में श्री विनय सिंह ने छात्रों को रोजगार से जुड़े तमाम पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए यह बताया कि छात्रों को कैसे अध्ययन करना चाहिए? विश्वविद्यालय के अलग-अलग संकाय के छात्रों को उन्होंने उनके रोजगार के अवसर के बारे में भी बताया कि कैसे प्राइवेट और निजी क्षेत्रों में रोजगार की अपार संभावनाएं देखी जा सकती है?

By Amitesh Sonkar

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