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राजनांदगांव: मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश चौधरी ने बताया कि स्वाईन फ्लू (एच1 एन1) वायरस के संक्रमण से होने वाली ष्वसन तंत्र की बीमारी है। यह बीमारी एक संक्रमित व्यक्ति से उसके छिकने या खांसते वक्त वायरस वातावरण में ड्रापलेट के रूप में फैलते है। बीमारी की गंभीरता के मद्दे नजर जिले के सभी षासकीय चिकित्सालय एवं निजी चिकित्सालय प्रमुखों को पूर्व से दिषा-निर्देष, लक्षण, जटिलताएं मरीजों को वर्गीकरण,उपचार प्रोटोकॉल,मरीजों को प्रबंधक, बीमारी के रोकथाम को प्रबंधन,कान्ट्रेक्ट ट्रेसिंग, मॉनिटरिंग, धनात्मक मरीजों का सर्विलेंस, मरीजों की पूर्ण जानकारी इंन्द्राज कराना एवं लैब सैंपल रिपोर्टिंग आदि जारी की जा चुकी है।
स्वाईन फ्लू के लक्षण:- स्वाईन फ्लू का लक्षण मौसमी फ्लू की तरह होता है, इसमें बुखार, सर्दी, झींक,खांसी,कफ जमना, गले में खरास,सिर दर्द,बदन दर्द,ठंड लगना और थकान की षिकायते होती है। कुछ प्रकरणों में उल्टी-दस्त एवं पेट दर्द भी हो सकता है। गंभीर मरीजों में तेज बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ होती है। इस बीमारी में संक्रमित व्यक्ति के संपर्क आने के एक से सात दिनों में स्वस्थ्य व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। बच्चों, वृद्धों एवं पूर्व से अस्वस्थ व्यक्तियों में स्वाईन फ्लू के संक्रमण के गंभीर परिणाम हो सकते है। उपरोक्तानुसार स्वाईन फ्लू के जांच हेतु स्वास्थ्य विभाग के 07744356770 पर सम्पर्क करें।
बचाव:- खांसते एवं छिकते समय अपने मूंह व नाक को रूमाल से ढके,अपने नाक,कान अथवा मूंह को छूने से पहले अथवा बाद में अपने हाथों को साबून से धोते रहें,भीड़-भाड़ वाली जगह से दूर रहे और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में ना आये,अच्छी निंद ले,शारीरिक रूप से संक्रीय रहे, पानी अधिक सेवन करने तथा पौश्टिक आहार लें,चिंता व तनाव से दूर रहें एवं स्वस्थ्य जीवन षैली अपनायें। डॉक्टर के सलाह के बीना कोई दवा अपनी मर्जी से न लेवें। हाथ न मिलायें।
सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में स्वाईन फ्लू की दवा र्प्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नं. 104 पर संपर्क किया जा सकता है।

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