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छत्तीसगढ़ के क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में पंडित जी का महत्वपूर्ण योगदान…

  • पं. लोचन प्रसाद पाण्डेय ने छत्तीसगढ़ के इतिहास को रेखांकित किया : डॉ. मिश्र

राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग एवं छत्तीसगढ़ अन्वेषक संस्थान रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में महाकोशल इतिहास परिषद की 101वीं स्थापना वर्ष पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ.के.एल. टांडेकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ का इतिहास काफी समृद्धशाली है और समय के अनुसार बहुत सारी नवीन ऐतिहासिक तथ्य सामने आ रही है। इसलिए विद्यार्थियों को क्षेत्रीय इतिहास में अधिक कार्य करना चाहिए। मुख्य वक्ता वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र ने कहा कि पंडित लोचन प्रसाद ने अपने जीवन काल में अनेक जगहों का भ्रमण किया। साहित्यिक गोष्ठियों, सम्मेलनों, कांग्रेस अधिवेशन, इतिहास-पुरातत्व खोजी अभियान में वे सदा तत्पर रहे। उनके खोज के कारण ही छत्तीसगढ़ के अनेक शिलालेख, ताम्रपत्र प्रकाश में आए।

विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि पंडित जी ने 1905 में कलकत्ता से इंटर की परीक्षा पास करके बनारस गये और वहां अनेक साहित्यिकारों से उनका संपर्क हुआ। उन्हें उडिया बंगाली और संस्कृत भाषा की भी ज्ञान था। छत्तीसगढ़ के क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में पंडित जी का महत्वपूर्ण योगदान था।

कोसल प्रशस्ति रत्नावली का विमोचन

पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय द्वारा संपादित कोसल प्रशस्ति रत्नावल को विमोचन किया गया। इस पुस्तक में प्राचीन इतिहास संबंधी शिला और ताम्रलेखों का संग्रह है। कार्यक्रम का संचालन प्रो हीरेन्द्र बहादुर ठाकुर तथा आभार प्रो. हेमलता साहू द्वारा किया गया।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

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