पैट्रोल से चलने वाली वाहन में वायुमंडल में उपस्थित CO2 को मेथेनाल जैसे उपयोगी पदार्थों में परिवर्तित कर वातावरण में उपस्थित CO2 के उपयोग होने से शुद्ध होगा वातावरण : प्रोफ़ेसर मंडल
जैविक कोशिका में आक्सीकरण को रोककर कैसे बुढ़ापे को दूर किया जा सकता है जिसे हम प्रतिआक्सिकारक (Antioxidant) के नाम से जानते है : प्रोफ़ेसर शंकर
राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय स्वसाशी स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव की प्राचार्य डॉ बी एन मेश्राम के मार्गदर्शन एवं रसायन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर यूनुस रज़ा बेग के निर्देशन में “रसायन विज्ञान में नवीन तथ्य/प्रचलन” (Novel Trends in Chemical Sciences 2021) विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में देश –विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से रसायन विज्ञान के विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिकों ने अपने ज्ञान एवं कार्यानुभव से सभी सम्मिलित प्रतिभागियों को लाभान्वित किया। संगोष्ठी में प्रथम दिवस के उद्घाटन सत्र में विभागाध्यक्ष द्वारा राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी की रुपरेखा व् उद्देश्य के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ अरुणा पल्टा, कुलपति, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग, विशिष्ट अतिथि डॉ हेमलता मोहबे, सेवानिवृत्त प्राचार्य शासकीय दिग्विजय स्वसाशी स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव, कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. बी एन मेश्राम, प्राचार्य, शासकीय दिग्विजय स्वसाशी स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव थे। प्रथम दिवस के मुख्य प्रवक्ता प्रोफेसर स्वाधीन के मंडल, रसायन शास्त्र विभाग, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एजूकेशन एंड रिसर्च (आई आई एस इ आर) कलकत्ता (जिन्हें वर्ष 2018 में उनके अति विशिष्ट कार्य के लिए देश में रसायन के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार भटनागर – माथुर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है) तथा प्रवक्ता प्रोफेसर कौशिक घोष, रसायन शास्त्र विभाग, आई आई टी रुड़की एवं डॉ हेमलता मोहबे रहे साथ ही भारत के विभिन्न क्षेत्रों से सम्मिलित शिक्षक, शोधार्थी व् विद्यार्थियों द्वारा उनके शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण दिया। द्वितीय दिवस के मुख्य प्रवक्ता प्रोफेसर शंकर प्रसाद रथ, आई आई टी कानपुर तथा अन्य प्रवक्ता डॉ. चितरंजन दास, वैज्ञानिक जर्मनी एवं डॉ राजेन्द्र प्रसाद ठाकुर, वैज्ञानिक सी एस आई आर लैब भावनगर गुजरात थे।
विभागाध्यक्ष के उद्बोधन के पश्चात् मुख्य अतिथि डॉ. अरुणा पल्टा ने रसायन शास्त्र के दैनिक जीवन में अनुप्रयोगों व इनके विभिन्न क्षेत्रों के बारे में सारगर्भित उद्बोधन दिया साथ ही उनके द्वारा बताया गया कि कैसे शोध कार्यों को बेहतर बनाकर समाज में अपना योगदान दिया जा सकता है। विशिष्ट अतिथि व क्षेत्र के प्रमुख रसायन विद डॉ हेमलता मोहबे द्वारा रसायन शास्त्र विषय कि प्रासंगिकता के बारे में विस्तार से बताया गया कि किस प्रकार हमारे जीवन को और विस्तृत करने में रसायन के शोध कार्यों का योगदान है साथ ही इस वर्ष के नोबेल पुरस्कार के बारे में भी संक्षिप्त जानकारी दी गई।
कार्यक्रम कि अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय कि प्राचार्य डॉ बी एन मेश्राम द्वारा अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि इस प्रकार कि संगोष्ठी से सम्मिलित समस्त प्रतिभागियों को किस प्रकार लाभ प्राप्त होगा। उनके शैक्षणिक तथा शोध कार्यों में किस प्रकार नई जानकारी को सम्मिलित कर इसे बेहतर बना सकते है तथा स्वसाशी के द्वारा बताया गया कि भारत के सर्वोच्च संस्थान जैसे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एजूकेशन एंड रिसर्च(आई आई एस ई आर) एवं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (आई आई टी) के विषय विशेषज्ञ प्रथम बार रसायन शास्त्र के किसी संगोष्ठी में सम्मिलित हो रहे है यह हमारे लिए सम्मान की बात है।
प्रथम दिवस के मुख्य प्रवक्ता प्रोफ़ेसर स्वाधीन कुमार मंडल द्वारा बताया गया कि किस प्रकार वायुमंडल में उपस्थित CO2 को मेथेनाल जैसे उपयोगी पदार्थों में परिवर्तित कर उसका उपयोग पैट्रोल से चलने वाली वाहन में किया जा सकता है साथ ऐसा करने से वातावरण में उपस्थित CO2 के उपयोग होने से वातावरण भी शुद्ध होगा साथ ही ईंधन कि समस्या का भविष्य में समाधान भी निकला जा सकता है। प्रोफ़ेसर मंडल के इसी कार्य के लिए उन्हें शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। प्रथम दिवस के दुसरे प्रवक्ता के रूप में जुड़े क्षेत्र के प्रमुख रसायनविद डॉ हेमलता मोहबे द्वारा विद्युत- चुम्बकीय विकिरण जैसे X-किरण, गामा किरण व् अन्य विकिरण का चिकित्सा के क्षेत्र में किस प्रकार उपयोग किया जाता है और बीमारियों को पहचानने तथा उनके इलाज़ में इनका किस प्रकार उपयोग किया जा रहा है इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई साथ बताया गया कि भविष्य में इनके और क्या क्या उपयोग होने कि संभावना है। प्रथम दिवस के द्वितीय तकनिकी सत्र में प्रोफेसरों तथा शोधार्थियों के शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण हुआ तत्पश्चात प्रथम दिवस के अंतिम प्रवक्ता के रूप में प्रोफ़ेसर कौशिक घोष द्वारा व्याख्यान दिया गया। अपने विशेष व्याख्यान में उन्होंने बताया कि क्यों अँधेरी और गहरी जगह में, खासकर कुँओं में विषैली गैस H2S मौत का कारण बनती है। सामान्य लोगों को इसका ज्ञान होना चाहिए। उन्होंने अपने व्याख्यान में ये भी बताया कि कैसे नाइट्रिक आक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड तथा कार्बन मोनो आक्साइड का उपयोग दवाई के रूप में किया जा सकता है।
द्वितीय दिवस के मुख्य प्रवक्ता प्रोफ़ेसर शंकर प्रसाद रथ आई आई टी कानपुर के प्रसिद्ध वैज्ञानिक ने अपने व्याख्यान आक्सीजन के साथ जीवन (Life with oxygen) में आक्सीजन के महत्व पर प्रकाश डाला गया साथ ही बताया गया कि यह किस प्रकार का आक्सीकारक होता है जैविक कोशिका में आक्सीकरण को रोककर कैसे बुढ़ापे को दूर किया जा सकता है जिसे हम प्रतिआक्सिकारक (Antioxidant) के नाम से जानते है यह सभी उनके व्याख्यान में शामिल था। द्वितीय दिवस के दुसरे व्याख्यान डॉ चितरंजन दास जो कि जर्मनी में वहां कि सरकार कि आर्थिक सहयोग से अपना स्टार्ट – आप के बारे में बताया साथ ही सोलर सेल के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण कार्यों से विद्यार्थियों को अवगत कराया सोलर सेल में किस प्रकार इलेक्ट्रान के प्रवाह में अवरोध को समाप्त किया जा सकता है यह उनके विशेष व्याख्यान का आकर्षण था।
अंतिम व्याख्यान में डॉ राजेंद्र प्रसाद ठाकुर ने NMR की मदद से कैसे आयुर्वेदिक औषधियों में डोज निर्धारण किया जा सकता है इनकी संभावनाओं से अवगत कराया है।
प्रवक्ताओं के व्याख्यान के पश्चात् शोधार्थियों द्वारा अपने शोध पत्रों का प्रस्तुतिकरण किया गया। सम्पूर्ण देश के लगभग 14 राज्यों के 277 प्रतिभागी जुड़े थे तथा लगभग 44 शोधार्थियों के अब्स्ट्रैक्ट प्राप्त हुए जिसमे से शोध पत्र प्रस्तुतिकरण में 26 शोधार्थियों ने भाग लिया इसमें प्रथम स्थान पर डॉ आर सुभाष, मैसूरू, द्विअतीय डॉ सतीश चौहान, महारष्ट्र एवं तृतीय स्थान पर भिलाई की छात्रा एन जयश्री रहे उक्त राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी के संयोजक प्रोफ़ेसर यूनुस रज़ा बेग, उपसंयोजक डॉ प्रियंका सिंह, संयोजक सचिव प्रोफ़ेसर गोकुल राम निषाद एवं डॉ. अश्वनी कुमार शर्मा रहे साथ ही सभी सदस्य प्रोफ़ेसर रीमा साहू, डॉ डाकेश्वर वर्मा, प्रोफ़ेसर विकास कांडे, महाविद्यालय के वनस्पति शास्त्र विभाग से डॉ. त्रिलोक देव का प्रोत्साहन सम्पूर्ण संगोष्ठी के दौरान मिलता रहा रहा है सम्पूर्ण संगोष्ठी में डॉ. हेमलता मोहबे का उपस्थिति सबसे सक्रीय रही तकनिकी सहयोगी श्री आशीष कुमार मांडले सभी का सक्रीय सहभागिता ने उक्त कार्क्रम को सफल बनाया कार्यक्रम कि सफलता के लिए महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों ने शुभकामनाये दी।

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